Namrata Pandey
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एक पेड़ ना लगाया और छांव ढूंढते है शहरों में रहने वाले अब गांव ढूंढते हैं हरियाली की कमी है कंक्रीट का बसेरा ऐसे माहौल में ये सुकून ढूंढते हैं. नम्रता पांडेय

साहस हो कुछ कर दिखाने का तो मंजिलें खुद ही करीब आ जाती हैं

स्वप्न भी सच होते हैं बस पूरे करने का हौसला होना चाहिए

तुमसे ही खुशियां तुमसे ही संसार है मैं खुशनसीब हूं मेरे साथ मेरा परिवार है

एक बार फिर से अपना बचपन जी लेते हैं जब सारे भाई बहन मां के घर में मिलते हैं

सारे दरवाजे बंद थे न दिखती थी कोई राह तब एकमात्र ईश्वर को थी मेरी परवाह

मेरी खुशी है तुमसे, तुमसे है हर बहार और नही कुछ मांगू, बस चाहूँ तेरा प्यार

Sky is my only limit.

जब इंसान की जेब फटी और वक्त खराब होता है तब अपने और पराए का इम्तिहान होता है


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