I'm Hemant and I love to read StoryMirror contents.
Share with friendsरुला कर मुझको इक दिन तू भी रोएगी ऐ ज़िंदगी ख़फ़ा मुझसे जाने कब तक होएगी ऐ ज़िंदगी हौंसलो को तोड़ कर सब कोशिशों को रोक कर रुक जा अब तो कितना तू डुबोएगी ऐ ज़िंदगी
मोहब्बत में तुम्हारा कुछ फ़र्ज़ तो नहीं मुझ पर अब बाक़ी कुछ क़र्ज़ तो नहीं तुम थे तो था इस दिल को ग़ुरूर तुम बिन कोई शेर अब अर्ज़ तो नहीं
लोग कहते हैं हाल कुछ ख़राब है जनाब का अंजाम है यह उस ख़याल एक ख़राब का कहते हैं वो अन्दाज़ देखो ज़रा नवाब का नादान को सताने में हाथ था एक ख़्वाब का
ख़ाक से लगने लगे हैं जो पुराने गिले हैं बदलती तक़दीर के यह कुछ हसीन सिलसिले हैं हुआ क्या है जाने किसको है पता की अरसे के बाद आज हम खुदसे मिले हैं