ये घर की बात है। बाहर नहीं जानी चाहिये। हैरानी होती है सोचकर कि, बदनामी बात बाहर जाने से हो जाएगी उस कर्म से नहीं जिससे बात है। मगर कब तक ? जबकि सब जानते हैं कि सच एक दिन सामने अवश्य आता है। फिर भी......। NRG.
फादर्स डे पर
तुम पिता आकाश हो मेरे,
अंनत तलक हो ले जाते।
दूर क्षितिज तक दे उड़ान,
सपनों को पूरा करवाते।।
रुख हवा का हो किधर ही,
उड़ना हमको सिखलाते।
हो ऊँचा पर्वत का शिखर कोई,
तुम चोटी तक हो पहुँचाते।।
नीलम रानी गुप्ता