सत्येंद्र कुमार मिश्र शरत
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लेखक शोध छात्र

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जो जिंदगी से चला गया उसका क्या शोक.....? क्या सोचना......? क्या पछताना....? उसकी वेदना को धार दो। ............शरत

शायरी 1-वीरान दिल की घंटियां किसी ने बजाई है। एक बार फिर जीने की उम्मीद जगाई है। 2-ढो रहा था अपनी लाश को अपने ही कंधों पर। बुझे चिरागों को फिर किसी ने रोशनी दिखाई है।। .... सत्येंद्र कुमार मिश्र शरत

कविता -:कोई आया-: वर्षों इंतजार के बाद आहिस्ता से अनायास जिंदगी में कोई ऐसे आया जैसे जाड़े में सुबह की धूप नें हौले से मेरी खिड़की को खड़खड़ाया और कहा हो की अब उठो आंखें खोलो बाहर देखो सुबह हो गई। जैसे पहली बार अभी अभी मेरे सामने गुलाब की कली

शायरी 1-वीरान दिल की घंटियां किसी ने बजाई है। एक बार फिर जीने की उम्मीद जगाई है। 2-ढो रहा था अपनी लाश को अपने ही कंधों पर। बुझे चिरागों को फिर किसी ने रोशनी दिखाई है।। ....वंदना शरत


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