थोड़ी शरारत है । थोड़ी नादानियां है । कुछ संजीदगी है । कुछ शैतानियां है । कभी बैठेंगे साथ तो सुनाएंगे आपको , न जाने, कितने ही किस्से हैं । ना जाने, कितनी ही कहानियां है ।।
Share with friendsबिस्तर नरम खरीद सकता हूं, पकवान गरम खरीद सकता हूं, मेरी खुशियां कहीं जो बिक जाएं , आपके गम खरीद सकता हूं ।।
तराश के पत्थर को मैं भगवान बना देता हूं । मूर्तिकार हूं, ह्रदय पर भी निशान बना देता हूं । अच्छे कर्म का धागा पकड़ कर चलते रहो। आओ आज मैं तुम्हे फिर से इंसान बना देता हूं।।
बस यूं ही आता है और चला जाता है। न आने की ख़बर देता है, और न ही जाने की इजाज़त । कमबख्त ये वक्त भी बड़ा अज़ीब मेहमान है ।।
हाथों में चंद लकीरें और होठों पर हंसी लेकर उतरा हूं । ख़ाक से पनपा हूं और बस दो गज ज़मीन लेकर उतरा हूं ।।
उस रात हमने चांद को भी बहकते देखा था, कम्बख्त अपने चाहने वालों पर बड़ा मेहरबान था। करी थी खाली मय की न जाने कितनी सुराहियां, बस अपने दामन पर लगे चंद पुराने दागों से परेशान था।।
After a long time my kids sat with me for many hours. Because home WiFi was not working and my mobile had a hotspot.