आदतें बुरी नहीं सौक उंचें हैं... वरना किसी ख्वाब की इतनी ओकात नहीं हम देखें और पूरा ना हो
Share with friendsलौट आओ सोचती हूं के तुम्हे बुलाऊं पर क्या कहकर बुलाऊं हो जाती हूं उदास ... जब भी चाहा मैंने बुलाना अक्सर तुमने किया बहाना.... लौट आओ तुम्हारी चाहत में है कोई
Aadatein buri nahi sok unchein hein Warna kisi khwab ki itni plat nahi k hum dekhein or pura na ho..!