साथ पाया उसका तो मन मयूर नाच उठा सपने हुए साकार उसका हाथ जो थाम लिया में और तुम से शुरू होकर हम पर पहुंचे हम सफर में थे अकेले, हमसफर से मिला सुकून जिंदगी की डोर दी थमा दामन उसका पकड़ा घर आंगन में आ कर उसके मन मेरा महका
चलो चलें हम दोनो वहां जहां कोई और नहीं रहता वीरान खंडरों को आबाद करें प्रेम का बगीचे तैयार करें बंजर पथरीली जमीं को फिर हरा भरा कर दें चलो ना ऐसी जगह चलें। ©deeप्ती
चलो चलें हम दोनो वहां जहां कोई और नहीं रहता वीरान खंडरों को आबाद करें प्रेम का बगीचे तैयार करें बंजर पथरीली जमीं को फिर हरा भरा कर दें चलो ना ऐसी जगह चलें। ©deeप्ती