Antisocial
किश्तो मे मिलते रहे झटके खैरात मे, हर रात 'ख्वाबो के जनाने' आते जज्बात मे, मौत तो मुकम्मल शय है "अंकित" हलाल कर रहा गश अतीत का,हाशिऐ से हयात में।। हयात- जिंदगी
मैने कागजो पर है परोसा गम-ए-हिज्र को। जमाना मुझे इश्क बेचने वाला सौदाई कहता है।