Ankit Nayak
Literary Colonel
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Antisocial

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किश्तो मे मिलते रहे झटके खैरात मे, हर रात 'ख्वाबो के जनाने' आते जज्बात मे, मौत तो मुकम्मल शय है "अंकित" हलाल कर रहा गश अतीत का,हाशिऐ से हयात में।। हयात- जिंदगी

मैने कागजो पर है परोसा गम-ए-हिज्र को। जमाना मुझे इश्क बेचने वाला सौदाई कहता है।


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