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मेरा और उसका रिश्ता एक वृक्ष सा है, उतना ही मजबूत जितना जड़ का मिट्टी के साथ होता है!! _अनुराधा सक्सेना _
प्रेम और ईश्वर दोनों को हम सिर्फ अनुभव कर सकते हैं, अर्थात् हम कह सकते हैं, ईश्वर ही प्रेम है और प्रेम ही ईश्वर।। _अनुराधा सक्सेना _