अभिजित त्रिपाठी
Literary Colonel
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कवि, लेखक, गीतकार, शायर तथा मंच संचालक। अध्यक्ष-अभिजित युवा मंडल। तहसील संयोजक-अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद्, अमेठी। युवा प्रकोष्ठ संयोजक- सुंदरम् जनकल्याण सेवा संस्थान, सतीगंज, अंतू, प्रतापगढ़।

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रूप बदलकर रावण, सम्भव है रघुवर का अवतार धरे। ये जिम्मा सीता का भी है, वो लक्ष्मणरेखा ना पार करे। अभिजित त्रिपाठी "अभि"

प्यार हमें तुमसे कितना है, कहां आज तक जाना है। बस तेरे ही साथ में मुझको, जीकर के मर जाना है। अभिजित त्रिपाठी "अभि"

खाना-पीना, हंसना-रोना, जगना-सोना भी होता साथ। दोस्त वही है जो हर मुश्किल में थामे दोस्त का हाथ। अभिजित त्रिपाठी "अभि"

शिक्षक शिक्षा देते हैं, गुरु देते हैं ज्ञान। दूर हमारा होता है तब जाकर अज्ञान। अभिजित त्रिपाठी "अभि"

ना पहले से गांव रहे, ना पहले से हैं इतवार। अब वैसे बचे नहीं हैं, जैसे थे पहले परिवार। अभिजित त्रिपाठी "अभि"

ना पहले से गांव रहे, ना पहले से हैं इतवार। अब वैसे बचे नहीं हैं, जैसे थे पहले परिवार। अभिजित त्रिपाठी "अभि"

जिम्मेदारियों के बोझ को उठाए घर से दूर रहते हैं, घर गांव की याद में कई रात सोते नहीं। दर्द दे दो जितना भी देना हो, लेकिन हम मुस्कुराएंगे, साहब हम लड़के हैं और लड़के रोते नहीं। अभिजित त्रिपाठी "अभि"

हम नारी पर आखिर कब तक मिथ्या दोष लगाएंगे। नारी के त्याग पतिव्रत का मूल्य ना उसको दे पाएंगे। हर दिल में रावण बैठाकर, हम कितने राम बुलाएंगे। सीता की अग्नि परीक्षा आखिर कब तक दोहराएंगे। अभिजित त्रिपाठी "अभि"

पत्नी का तो करा अबॉर्शन, बेटी अपनी मरवाते हैं। नवरात्रों में ढूंढ़कर कन्या, घर में पूजा करवाते हैं। अभिजित त्रिपाठी "अभि"


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