Rajivani singh
Literary Colonel
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I am an open book, optimistic, friendly in nature.

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गीली मिट्टी में निशान बनाना आसान था पर रेत पे तस्वीर कैसे बनाऊ तुम पास भी हो और दूर भी इस एक बात को तुम्हें कैसे समझाऊं

माना एक कमी सी है जिंदगी थमी सी है कुछ पल का साथ हमारा क्यों नहीं बना जीने का सहारा

मत रोको मत टोको उड़ने दो उड़ने दो मुझे खुले आकाश में पंख पसारे निरंतर बढ़ने दो बढ़ने दो मुझे

पता नहीं क्यों आज मन बहुत परेशान है बेचैनी मन की इस कदर है जीवन में कि दिन में ही शाम है

शुक्रिया हर उस बात का हर उस डांट का जो जिंदगी हमारी है उसे आपने ही तो बनाई है मां ने जन्म दिया पापा ने पाला पर आप ने संभाला दी हमें शिक्षा अच्छा और नेक बनने की

क्या कहूं तुम्हें कान्हा प्यार कहूं विश्वास कहूं बिन मौसम बरसात कहूं सब कुछ तो हो तुम मेरे अपने चरणों में थोड़ा स्थान दे दो मांगू मैं अब यही हर बात

मीरा सी भक्ति दे दो राधा सा प्यार अपने चरणों में थोड़ा स्थान दे दो मांगू मैं अब यही हर बार मेरे कान्हा मेरे कान्हा

Even a slight light the diya can lit the whole room;so we should not lose hope and remain positive no matrer what the situation is

Everything in this world is a illusion. The most difficult thing is to find reality.


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