विचार मतभेदों पर उतर आए
जब लिखने का विषय चुना
"मजदूर और गरीब वर्ग"
योगेश्वर स्वामी
एक शिक्षक प्रतिरोध की ज़मीन पर मौन के बीज बो सकता है ठीक किसी "किसान की भांति"
योगेश्वर स्वामी
"असल में शिष्य गुरु की शाख होता है
किसी पेड़ के शाख की भांति"
योगेश्वर स्वामी
बारिश का आगमन अप्रत्यक्ष रूप से क्षितिजता को परिभाषित करता है।
योगेश्वर स्वामी
किसी लेखक के लिए जरूरी है
"अपनी आत्मानुभूति व्यक्त करना"
पर इससे कहीं ज्यादा जरूरी है
किसी लेखक के लिए
"अपने मन की आंतरिक इच्छाओं को जागृत करना सुसुप्तावस्था से"।
©योगेश्वर स्वामी
"शीर्षक:- बचपन"
बचपन तो उसी दिन मृत्यु रूपी अवसाद के तिमिर में कहीं खो गया था !!!!!
जब जिम्मेदारियों ने बचपन की दहलीज पर अपना पहला कदम रखा था ठीक उस अल्पविराम की तरह, जो प्रतीक है ठहराव के साथ निरंतरता का
© योगेश्वर स्वामी
प्रेम और घृणा अन्योन्याश्रीत है
ठीक कलम और स्याही की तरह...
© योगेश्वर स्वामी
पिता के कर्ज से व्युत्पन्न फर्नीचर एक निश्चित आयतन घेरे हुए था बेटी के घर,,,,,,
जो अपने आप में दहेज प्रथा जैसी कुंठित मर्यादा का पालन करता हुए नजर आ रहा था।
योगेश्वर स्वामी