Sonam Kewat
Literary General
AUTHOR OF THE YEAR NOMINEE - 2020, 2019 & 2018

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कुछ ऐसा लिख जाओ कि लोग पढ़े और ना लिख पाओ तो ऐसा कुछ करो कि लोग आपके बारे में लिखें।

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तू तो चली गई पर कमबख्त! तेरा गम दिल के कोने में आज भी अपना घर बनाए बैठा है।

जमीन पर अपनी औकात देखती हूं, यूं आसमां में उड़ने के ख्वाब सजाना आसान है क्या?

जमीन पर अपनी औकात देखती हूं, यूं आसमां में उड़ने के ख्वाब सजाना आसान है क्या?

आज कल लोग भीड़ में इसलिए खो रहे हैं क्योंकि वो मन की शांति चाहते हैं

चलो जाने दो, जियो और जीने दो का सार देखें, और खुद पर ध्यान देते हैं। उन्हे नहीं सुधार सकते तो क्या, हम खुद अच्छे रिश्तेदार बन लेते हैं

कभी ज्ञान पर घमंड था कभी पैसों पर रोब जमाया करता था वह ऐसा भी वक्त था जिंदगी में जब मैं खूब कमाया करता था

कभी ज्ञान पर घमंड था कभी पैसों पर रोब जमाया करता था वह ऐसा भी वक्त था जिंदगी में जब मैं खूब कमाया करता था

मैंने भूखे को खाना नहीं खिलाया जरुरतमंद को खाली हाथ लौटाया है कई लोगों की बद्दुआ ले चुका हूं आज यही समझ में आया है

मैंने अमीरों पर खूब पैसा लुटाया पर एक गरीब को कंबल ना दिला पाया कुछ दिनों बाद उसी गरीब को दरवाजे पर दम तोड़ता हुआ पाया


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