RAJ laxmi
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A girl of her own dreams!!!!

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धुँधली सी हो गई हैं हँसी कहीं ओझल ना हो जाऊँ एक ग़ुरूर आज भी हैं जो सम्भाले रखता हैं मुझे.....

लोग मिलते ही हैं बिछड़ने को हमें तो उनकी आँखो ने छला हैं माना हम उनकी ताऊहीन नहीं करते पर कमबख़्त क़ुसूर तो कुछ हमारी आँखो का भी न था

पिता से नाराज़गी की वजह भी बेवजह ही थी तुम्हारी इतनी औक़ात नहीं जो उनकी बराबरी कर पाओ.


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