कुछ उजले ख्वाब देखे है मेरी नजरों ने। वफा का वादा किया है वक्त के लम्हों ने।। फिरसे जीने की तमन्ना दिलमें जागी हैं। अंधेरा मिटा है नयी सुबह की किरणों से।।
तेरे साथ बीते हुए लम्हों ने मुझको जीने ना दिया है। मैं गया भीड़ में और तन्हाई में कहीं रहने ना दिया है।।
आ बैठ साथ हमदम मेरे पहलू में। तुझपे मैं कुछ मुख्तलिफ सा लिखूं।। अल्फाजों से सवारूं तेरे हुस्न को। तुझको मैं उर्दू के अलिफ सा लिखूं।। ✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
जितनी भी की थीं मोहब्बत उतनी नहीं मिली। क्या फायदे को रोए लागत नही मिली।। कातिल हमारे कत्ल से मशहूर हो गया।। शहीद होके भी हमको वो शोहरत नही मिली। ✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️