Taj Mohammad
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कुछ उजले ख्वाब देखे है मेरी नजरों ने। वफा का वादा किया है वक्त के लम्हों ने।। फिरसे जीने की तमन्ना दिलमें जागी हैं। अंधेरा मिटा है नयी सुबह की किरणों से।।

तेरे साथ बीते हुए लम्हों ने मुझको जीने ना दिया है। मैं गया भीड़ में और तन्हाई में कहीं रहने ना दिया है।।

यूं अपनी जरूरत पर ही तुम हमसे मिलते हो। ये तो ना हुयी मोहब्बत तुम तिजारत करते हो।।

आ बैठ साथ हमदम मेरे पहलू में। तुझपे मैं कुछ मुख्तलिफ सा लिखूं।। अल्फाजों से सवारूं तेरे हुस्न को। तुझको मैं उर्दू के अलिफ सा लिखूं।। ✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

जितनी भी की थीं मोहब्बत उतनी नहीं मिली। क्या फायदे को रोए लागत नही मिली।। कातिल हमारे कत्ल से मशहूर हो गया।। शहीद होके भी हमको वो शोहरत नही मिली। ✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

देखने से ये कहां दिखाई देगी। अजी मोहब्बत है महसूस करके देखो।। ✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

किसी के ख्यालों में ढल जाते है। लोग ऐसे भी मोहब्बत कर जाते है।। ✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

यूं जवाब क्या मांगे हम उनसे। जो सवालों से खुद ही घिरे है।। ✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

ज़ख्मों के दर्दों में अब जीना आ गया है। हमें भी अहसासों को छुपाना आ गया है।। ✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️


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