Karnika Nagori
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सफर पर पहुंचना किसे है, महसूस कर रास्ते की जीवंत तरंगे मन के दिए जला लेते हैं, आंगन की मिट्टी से ही रेत के शहर बना लिया करते हैं।

मुकम्मल इस दुनिया में नशे का भी स्वाद निराला रोज एक जाम का नशा हाले दिल को नहीं गवारा हम जीते हैं ताकि सुबह फिर किसी गुमनामी को तलाशें वक्त की सिलवटो को निहारे उन्हें और तराशे

आपके लफ्ज़ आबरू में समाए हुए हैं दर्द को भी गुरुर बनाए हुए हैं रुके थे जमाने की कशमकश में फस कर इनके एहसास से नींद में भी दौड़ लगाए हुए हैं


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