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देखि सखी मोहन सिर फेटा मन गडी रह्यो माधुरी मूर्ती ज्यों लपटे गुड़ चेंटा राधा संग हैं मन मनाबत नन्दराइ के बेटा कुम्भंदास प्रभु गोवर्धनधर अखिल अड जाके पेटा