A ghazalgo with proficiency in Urdu and a serving Officer in Government of India
दर्द हम इससे ज़्यादा सह नहीं सकते साथ रहकर दूर तुमसे रह नहीं सकते जब ठिकाना ही न हो उसके सिवा कोई तो सितमगर को सितमगर कह नहीं सकते - आलोक यादव
प्यार का दोनों पे आख़िर जुर्म साबित हो गया ये फ़रिश्ते आज जन्नत से निकाले जाएंगे - आलोक यादव