તો નિખરી જાય કવિતા મળે જો છંદની ભાત ,
હોય જો ધ્યેય સુનિશ્ચિત , નિખરે માનવજાત .
हर एक बात पे पूछते है वो के "निरव" कौन है
कोई बतलाये कि हम बतलाये क्या ।
अमीर इतना भी अमीर नही होता कि वो अपना आनेवाला कल खरीद सके,
और गरीब इतना भी गरीब नही होता वो अपना गुज़रा हुआ कल भूल सके