तू जो कर खुद मन पर जय
तो फिर कैसे ना हो दुनिया में विजय
तू जो कर खुद मन पर जय
तो फिर कैसे ना हो दुनिया में विजय
हे चन्द्र, कैसा तुमने खुद को बनाया ।
अंधेरे में प्रकाश और गर्मी में शीतल छाया।।
हे चन्द्र, कैसा तुमने खुद को बनाया ।
अंधेरे में प्रकाश और गर्मी में शीतल छाया।।
स्वतंत्रता की अहमियत तब तक नहीं समझी जा सकती जब तक कुछ पल कैद में ना गुज़रे हों।।
स्वतंत्रता की अहमियत तब तक नहीं समझी जा सकती जब तक कुछ पल कैद में ना गुज़रे हों।।
तू क्या खुद को लेखक कहता है, नासमझ।
लेखक तो वो
ऊपर वाला है जिसने हम सब की कहानी लिखी है।।
तू क्या खुद को लेखक कहता है, नासमझ।
लेखक तो वो
ऊपर वाला है जिसने हम सब की कहानी लिखी है।।
बाहरी सफलता
से
ज्यादा जरूरी
है
अंदरुनी सफलता।।