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गृह में आराम पाते, वह भी तो मैं ही हूँ न पदचाप, शांत संयत, निःश्वास गहरा बिखरा हुआ गृह में आराम पाते, वह भी तो मैं ही हूँ न पदचाप, शांत संयत, निःश्वास गहरा बिखरा ह...
भीगे फूलों के मुख से रिसता बरसता जल, मेरी हृदयकारा पर! भीगे फूलों के मुख से रिसता बरसता जल, मेरी हृदयकारा पर!