कोई पहरा, कोई दीवार रोकेगी कब तक मैं तो पानी हूं मेरा रास्ता बना लूंगा।।
मर्ज़ी है ज़िंदगी से या दिल से निकालिए। चलता हूं आप आपके रिश्ते सम्हालिए।। कुछ भी समझ न आए तो सुनिए मेरी तरह। यूं कीजिए कि आप भी सिक्का उछालिए।।
माँगा दो पल का साथ तो वो बोल ही उठे अब तक तेरी उधार की आदत नही गयी
सीधी सी बात भी ज़बान-ए-ख़ार से बोलो | सर पे चढेगा लोग अगर प्यार से बोलो ||
कुछ इस तरह से, इश्क मुझे बेशुमार था। वो झूठ कह रहा था, फिर भी एतबार था।।
हम सभी को अपना लक्ष्य प्राप्त हो ही जाता है, पर सोचने वाली बात ये है, कि उसके लिए हमने कीमत क्या चुकाई ?