कवि और लेखक, भोपाल में रहते हैं। बच्चों की शिक्षा के लिए विगत दस वर्षों से लेखन कर रहे हैं।
ख़याल इस गुज़रती रात में यूँ तिरा, कोई सितारा जैसे टूट के गोदी में आ गिरा। मिल्कियत मिरी उन दिनों की??? एक चाय का प्याला, एक बासी अख़बार, एक छुअन तेरी, और एक खतूत तिरा। मोहित