@dinesh-kumaar-kiir

दिनेश कुमार कीर
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नमस्कार

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शीशा क्या, बताएगा खूबसूरती तुम्हारी वक्त हो तो देख लेना आखें में हमारी साहिबा

शीशा क्या, बताएगा खूबसूरती तुम्हारी वक्त हो तो देख लेना आखें में हमारी साहिबा

दुखों मे ठीक ठाक कटती है जिंदगी बीच मे खुशियां आकर परेशान कर देती है

मुस्कुराहट से रोशन है ये ज़िंदगी, जैसे चाँदनी से सजी हो रात। हर लफ़्ज़ में बस महक हो प्यार की, जैसे बहारों का हो कोई जश्न।

सारी दुनिया के रूठ जाने की परवाह नहीं मुझे, बस एक तेरा रूठ जाना मुझे तकलीफ देता है!

छू लेता शायद मैं भी उचक कर चांद को खुदा ने ख्वाहिशें तो दी मगर हाथ छोटे रखे

कैसे करूँ मैं साबित कि तुम याद बहुत आते हो, एहसास तुम समझते नहीं और अदाएं हमे आती नहीं।

नज़र समय पे रखना दोस्त,  सुइयां घूमना शुरू हो चुकी है! 

अपनी यादों से कहो इक दिन की छुट्टी दे मुझे, इश्क़ के हिस्से में भी इतवार होना चाहिए।


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