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Share with friendsजब से 'बिन फेरे हम तेरे' का खुमार युवाओं पे छाने लगा है, तब से हमारी संस्कृति पे मानो खतरे का बादल मँडराने लगा है। कमलेश आहूजा
तेरी ही कोख से,मैं माँ जाई हूँ, हर मुश्किल में तेरे साथ आई हूँ। प्यार करती तू मुझे बेटे से ज्यादा, फिर भी मैं तेरे लिए पराई हूँ। कमलेश आहूजा
कब तक बेटियां यूँ दहेज की बली चड़ती रहेंगी, कब तक बलात्कार का शिकार होती रहेंगी। कब खत्म होगा सिलसिला ये आत्याचार का, कब तक सीता की अग्निपरीक्षा होती रहेगी कमलेश आहूजा
अपनी मर्जी से वो हमें हंसाए, अपनी मर्जी से वो हमें रुलाए। हम हैं कठपुतलियां ऊपरवाले के हाथों की, जब जैसा चाहे वो हमें नचाए। कमलेश आहूजा