niraj shah
Literary Captain
AUTHOR OF THE YEAR 2019 - NOMINEE

34
Posts
65
Followers
0
Following

I'm niraj and I love to read StoryMirror contents.

Share with friends

आस को चाहे जैसे भी दफनाओ वो ज़िंदा रहती है ख्वाहिशें कभी मरती नहीं, बस खामोश हो जाती हैं

वक़्त वही, उसकी रफ़्तार, वही किसीका ग़लत, तो किसीका सही किसीका बीत जाए, तेजी से और किसीका, बीते ही नहीं कोई चूक जाए वक़्त अपना किसीका वक़्त, आए ही नहीं कोई कहता, वो है महेरबान कोई कहता मुझ पर, रहेम नहीं कोई बांटें वक़्त, सब के साथ कोई खुद के साथ

उस गुनाह का इलज़ाम है मुझ पर... जिसकी सज़ा भी नहीं मिलती जिस से बरी भी नहीं होता, मैं

अब का ज़माना है शोर और शोहरत का खामोश सदाएं अब वो असर नहीं रखती


Feed

Library

Write

Notification
Profile