Navin Madheshiya
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माना कि मैं गरीब हूँँ पर मैं खुशनसीब हूँ आता नहीं धोखा देना इसलिए शरीफ हूँ

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तेरी सांसों की खनक जब पहुंचती है मेरी छाती तक महसूस करता हूं तेरे हर एक धड़कन को टुट जाता हूं तेरे आगोश में

आहिस्ता-आहिस्ता सुलग रहा हूं आग मत भड़काओ जान किस्तों में जी रहा हूं मुझको ना तड़पाओ जान

तेरी सांसों की खनक जब पहुंचती है मेरी छाती तक महसूस करता हूं तेरे हर एक धड़कन को टुट जाता हूं तेरे आगोश में

कुछ कमियां हम में थी कुछ कमियां उनमें थी बात करें क्या उन हवाओं की जब कमियां सब में थी

हर फूल उजड़ी है अपनी डाली से दोष केवल हाथों का नहीं कुछ चमन भी बेवफा थे जो हवाओं को रोक सके नहीं

ना जाने वो मदहोश नींद कब आयेगी ना जाने ये मदहोशी कब जायेगी दिल कहता है बात करता रहूं तुमसे ना जाने फिर वो बात कब आयेगी

तेरी आवाज में जो राग है प्रकृति भी हैरान है मांगा पूरे जीवन में इनको पाऊं यह प्रकृति को भी नागवार है

सुनो मेरी धड़कनों को क्या कहती है तुमसे लिख दो प्यार की स्याही से जो महसूस करता हूं तुमसे

आंखें मुंदता हूं तो महसूस करता हूं तुम्हें जब टुट जाती है नींद तो खोजती है ये आंखें तुम्हें


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