माना कि मैं गरीब हूँँ पर मैं खुशनसीब हूँ आता नहीं धोखा देना इसलिए शरीफ हूँ
Share with friendsतेरी सांसों की खनक जब पहुंचती है मेरी छाती तक महसूस करता हूं तेरे हर एक धड़कन को टुट जाता हूं तेरे आगोश में
तेरी सांसों की खनक जब पहुंचती है मेरी छाती तक महसूस करता हूं तेरे हर एक धड़कन को टुट जाता हूं तेरे आगोश में
ना जाने वो मदहोश नींद कब आयेगी ना जाने ये मदहोशी कब जायेगी दिल कहता है बात करता रहूं तुमसे ना जाने फिर वो बात कब आयेगी
तेरी आवाज में जो राग है प्रकृति भी हैरान है मांगा पूरे जीवन में इनको पाऊं यह प्रकृति को भी नागवार है