आगे बढ़ रहा हू या सब छूट गया पीछे इस वजूद को बनाने मे तन्हा सा हू कुछ पाया या नहीं ये जानता नही पर आज भी ख़ुश याद करके अपने बचपन को हू...
सब भूल गये है मुझको ये मान लेता हू याद उनको भी तो मै कहाँ करता हू दिखाना चाहता हू की गुम हू मै आस्मां को छूने मै मगर ये मुझको पता है की कितना अकेला हू मै उस बादल मै
तुमने ही तोड़ा है दिल मेरा फिर भी तुमसे ही मिलना चाहता है सच कहते है लोग मेरी बरबादियों की वजह तुम हो
ऐसा कुछ भी नही जो मै करता हू, अपनी खुशी के लिये... फिर भी सब कहते है की खुदगर्ज हू मै, जीता हू सिर्फ खुद के लिये
मै अब फना हो जायूँ तुझमे बस यही ख्वाहिश है मेरी ना मै रहू, ना ये रूह मेरी और ना इस दिल मै हो कोई धड़कन जो हो ना तेरी
कहने को तो पापा घर के काम नही करते पर जब देखो घर भी पूरा है वो ही भरते कभी दोनों हाथों मै भी सामान उनके पूरा नही पड़ता तब भी हमें कुछ उठाने को नही कहते बस एक मुस्कान से है यही कहते रहने दो तुम थक जाओगे मै कर दूंगा..