छुपी बात कि भी एक सच्चाई है
अपना कहेलू जिसे वही एक परछाई है।
तारीफ़ तो तेरी होगी
चाहे अच्छी हो या बूरी
बस सुनने की हिम्मत रखना
चाहे अपनों की या फ़िर जमाने की
आजकल कहां किसी का मशवरा
लोग सुना किया करते है
बात जब अपने पे आती हैं
तो बातें हजारों किया करते हैं।
समझाने गए किसी को
तो ये समझ आया है।
बेसमझ ये अभीतक
कुछ समझ नहीं पाया हैं।
कभी कभी हंसी आतीं हैं
हमको ही हमारे लिखावट पे
लोग प्यार करके छुपाते है
और हम ना करके भी दिखाते है।
अरे जिंदगी दियी है उन्होंने
इनपर क्यूं खर्च करें
पहले कमाना तो सीखेंगे
बाद में प्यार- व्यार की बातें करें
खरचं सूंदर या आयुष्याचं रहस्य आज
कळलं
आपल्या मानसानपेक्षा अनमोल जगी
काही नाही उरलं
म्हणून तिळगुळ घ्या आणि गोड गोड
बोला...
कवि है हम,ना शिकायत कोई किजिए
हाल लिखते हैं हर दिल का,
ना ग़लत हम को समझिए
जब आता हो हमें हालातों से सुलझना
किस्मत की रेखाओं में,हम क्यूं उलझाये
हैं दस्तूर-ए-ज़माना,खुद के दम पर कुछ करें
खालि हाथ से ना इस दुनिया से जाये