Love to write.........✍️
Share with friends"स्मृतियां" मानो मन के कोने से झांकती नन्ही गुड़िया रो देती है टूटे खिलौनों की स्मृति में मुस्कुराती है उसे जोड़ने के बाद बेचैन हो जाती है कहीं फिर से न टूटे।
मेरे ईश्वर को नहीं था स्वीकृत मेरा सौम्य होना इस छल से परिपूर्ण संसार में निश्छल मन का होना बुनना प्रेम के धागे विश्वास के आंचल पर सोना मेरे ईश्वर को नहीं था स्वीकृत मेरा सौम्य होना।
क्यूं मैं उसके जैसे अपनी शर्ते नहीं कह सकती क्यूं मैं उसकी भांति अपने रिश्तों के साथ नहीं रह सकती क्यूं हर बदलाव सिर्फ़ मेरे लिए ज़रूरी हैं क्यूं हर बार सिर्फ़ मेरी और मेरी ही मजबूरी है
रिश्ता जब नया हो तो दोषों को देखपाना मुश्किल होता है परन्तु जब पुराना हो जाए तो वही खूबियां धुंधला जाती है
तुम मेरी नहीं फिर क्यो मैं तुम्हे खोने से डरता हूं लापरवाह सा शक्स हूं मैं पर तेरी परवाह करता हूं होश नहीं मेरा मुझको पर तेरी याद संजोकर रखता हूं लापरवाह सा शक्स हूं मैं पर तेरी परवाह करता हूं