'विश्व हिंदी दिवस' की
हार्दिक शुभकामनाएँ।
'आचार्या नीरू शर्मा'
संस्कृति और संस्कारों संग देश की आज़ादी का गौरव है,
धरा सी इसमें सहनशीलता स्नेह और अदम्य साहस है,
पुरुष संग कदम मिलाती महिला सशक्तिकरण का दौर दिखाती स्वर्णिम भविष्य की पहचान है नारी।
आचार्या नीरू शर्मा
"न बैठो यूँ खाली तुम, विचारों को पंख लगाकर आसमान को छूकर हृदय तक आकर, काव्य का रूप लेने दो।"
'आचार्या नीरू शर्मा'
"मेहनत, ईमानदारी, निःस्वार्थ सहयोग से कर्म करते हुए मंज़िल की ओर बढ़ते चलो, चलते चलो।"
'आचार्या नीरू शर्मा'
दृष्टिकोण हो संस्कारों से युक्त
तब ही होगा वह अमूल्य ।।
लेखिका - " नीरू शर्मा "
जन्मदिन कुछ यूँ मनाओ
हर चेहरे पर ख़ुशियाँ लाओ ।।
लेखिका - " नीरू शर्मा "
धूप जो आई ज़िंदगी में
माँ के आँचल ने छाँव बनाकर
ख़ुशियाँ अपार दिला दीं ।।
लेखिका - " नीरू शर्मा "
ख़ुशियों का ख़ज़ाना
मात - पिता का मुस्कुराना ।।
लेखिका - नीरू शर्मा
जन्म दिया है जिन मात - पिता ने
उनका नाम अमर कर देना
जीवन दिया है उन्होंने तुमको
उनकी ख़ुशियों को तुम भी पूरा करना
जन्म दिवस है यह जो तुम्हारा मात - पिता का ख़ुशियों भरा दिवस इसे तुम भी बना देना ।।
लेखिका - नीरू शर्मा