Since 1983 -84, last 39 years I am in literature field . Total Books published - 72 In form of Print books and E-Books I am writing in Marathi, Hindi and English Languages.
Share with friendsसफर सफर नही कर सकते कभी भी अकेले हम सफर का मज तब आए कोई हमसफर मिल जाए ------------ -अरुण वि.देशपांडे
माझा देश ---------------- जय जवान जय किसान भूमीपुत्राची दोन रुपं हिरव्या रानांत ,गावात भारत देश सुस्वरूप -----------------------------------
Be social -------------------- Being a social We can not Live as individual Try to develop self To be a kind hearted person A loveable human being With ,sweet relations.. ------------------------- Arun V.Deshpande
फुले नि फुलपाखरे -------------------------------- फुलपाखरू फिरते बागेमधुनी मुक्तपणे फुलांशी दोस्ती याची फिरते वाटत सुगंध देते राहावे सर्वांना हाच यांचा असे छंद ------------------------------------------ -अरुण वि.देशपांडे-पुणे.
फुले नि फुलपाखरे -------------------------------- फुलपाखरू फिरते बागेमधुनी मुक्तपणे फुलांशी दोस्ती याची फिरते वाटत सुगंध देते राहावे सर्वांना हाच यांचा असे छंद ------------------------------------------ -अरुण वि.देशपांडे-पुणे.
सामाजिक जीवनात असावा सलोखा नि सामंजस्य ,एकोपा नांदते शांतता ------------------------- -अरुण वि.देशपांडे-पुणे.