जीवन में खुशहालियाँ, दिल में भरे जुनून।
बच्चे की किलकारियाँ, देतीं बड़ा सुकून॥
©दिनेश कुशभुवनपुरी®
अगर चाहिए राष्ट्र का, उन्नति अरु उत्थान।
बच्चों को सिखलाइये, नैतिकता का ज्ञान॥
©दिनेश कुशभुवनपुरी®
बच्चे मूरत प्यार के, होते भागवत रूप।
निर्मल मन की भावना, प्यारा और अनूप॥
दिनेश कुशभुवनपुरी
हे प्रभु सबको दीजिए, शुचिता भरे विचार।
उमा रमा शारदमयी, दीपों का त्यौहार॥
©दिनेश कुशभुवनपुरी®
चले पटाखा फुलझड़ी, खुशियों भरे अनार।
बच्चे बूढ़े नवयुवा, मना रहे त्यौहार॥
दिनेश कुशभुवनपुरी
अंधियारे को चीरने, चले चमकते दीप।
चमक उठे धरती गगन, हुलसे रंक महीप॥
दिनेश कुशभुवनपुरी
दीवाली की धूम में, जाग उठे जज्बात।
झूम खुशी से दिन उठा, लगी नाचने रात॥
दिनेश कुशभुवनपुरी
पावन मनभावन लगे, दीपों का त्यौहार।
खुशियों की बौछार हो, प्रेम भरा व्यौहार॥
दिनेश कुशभुवनपुरी
दीवाली की धूम में, चले स्वच्छ अभियान।
चमक उठे घर आँगना, दरवाजा दीवान॥
दिनेश कुशभुवनपुरी