कल अगर जीत का जश्न मनाओ तो
सिर्फ इतना याद रखना हकीकत में
जंग किसने लड़ी थी...
Aj..
फैलाए हैं पंख अभी उड़ान बाकी है
ज़ख़्मी हूँ मरा नही अभी जान बाकी है..
Aj..
अँधेरा तो है लेकिन नींद नही फिर ये तो कोई रात नहीं ..
मुस्कुराते तो हैं देख कर लेकिन कोई बात नही फिर ये तो कोई मुलाकात नहीं...
Aj..
हो जाये ख़ता कोई तू नाराज न होना हम नादान परिंदे हैं,
फ़लक पर नहीं डेरा धरती के बाशिंदे हैं.......
Aj...
जा रे सिक्कों की खनक के दीवाने
तुझ को तेरी मुहबत मुबारक हो...
Aj..
इसके दिए जख्मों की दवाई नही होती
इश्क़ वो सजा है, जिसमे रिहाई नहीं होती...
Aj...
मुझे लगता था मैं सारी दुनिया देख बैठा था...
लेकिन एक मासूम सा चेहरा दौलत के आगे घुटने टेक बैठा था...
शिकायतें करते हैं इंसान हैं न...
नहीं करेंगे जिस दिन खुदा हो गए...