Manoj Kumar
Literary Lieutenant
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मैं नहीं मेरी कलम बोलती हैं।

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भाग चलो चांद पर तुझे कोई बुलाता होगा। यहां तो अपने है किसी और के नहीं। अहिंसा छोड़ हिंसा को पटाता होगा। तुम अपने दरवाजे से झांक कर देखो कितनी आवाजे आती हैं। कोई शब्द खाए तो कोई अशब्द खाता होगा। राइटर मनोज कुमार


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