पंछी को कहा पता है कि वो अपने साथ ले गया सारा शोर ?
अब ये घरौंदा भी खंडर सा लगता हैं मुजे !
वो अब भी नाराज है हमारी गुस्ताखियो से
और खुदा खुद ही मिलने आया हमारी इश्के इबादत से
सुकून सा लगता है अब दिल के हर कोने मे
किरायेदार आज आकर यादों का कबाड़ भी ले गया ।
लेजा दिल से तेरे खवाब के सारे टुकड़े
रूह को घुटन सी होती हैं तेरे यहाँ होने से ।
क्या बताये दर्द दिल की दास्ता
कई दर्द छिपे इस मुस्कान के नकाब ओढ़ कर
पाँव में चुभती काँच के टुकड़े सी यादे तेरी
ना ही में निकाल पाता हूँ ना ही चुभना बंध होती हैं।
एक बार आ के देख ले
वही पर आज तक खड़े है
वो अधूरी बाते और अधूरे हम।
चल हिसाब करदे मेरी तन्हा रातों का
हर बार तु ही मुनाफे में रहे
ये मंजूर नही मुजे ।
एक ही वजह है हमारे टूटने की
वो अब याद नही करते हमे
और हमे कुछ याद नही उसके सिवा।