Chetan Chakrbrti
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जाना है तो चली जाना, एक घड़ी रूक जा आखिरी सुर मैंने छेड़ा है।।

आप सच में नादान ही हो , तभी तो मेरी नाराजगी नही समझी। अगर समझ गयी होती जो, तो मैं-तुम नहीं, हम होते।।

मुझे कसम ऐसे बीते पल का ना देना कि, उसे निभाते निभाते मैं ख़ुद एक पल बन जाऊं।।

अभी शाम हुई कहाँ, अभी जाम बाकी है। अभी सोने का वक्त थोड़े है, अभी सारा इंतज़ाम बाकी है।।

जिन्दगी में सफल होना हो तो चुप चाप सबकी सुनो। और जो दिल ने कहा है उसे पूरा करने में पूरी जोर लगा दो।। चेतन चक्रवर्ती

मेरे शब्दों से अगर चोट लगती हो, तो दूर हो जाओ। क्योंकि हमें झूठ का फ़साना बनाना नहीं आता।।

इजाजत दे दी, फिर जद्दोजहद किस बात की है, अब खुद को मार के दफन भी मैं ही करूँ क्या?

मैं क्या उठु? कोई गिरा थोड़े ही था। वो तो मेरी विनम्रता है, जो मुझे झुकना सिखलाती है।। लेखक चेतन चक्रवर्ती

ऐ खुदा माफ़ कर मेरे दोस्तों को उन्होंने कुछ झूठ हमारे लिए बोला है।। चेतन चक्रवर्ती


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