कभी सीता तो कभी कुल्लछिनी बना देते है,,ऐसे लोगों का क्या भरोसा करे जो कभी फलक पर तो कभी जमीन पर गिरा देते है,,,खुद पे लगे दागों को आसानी से मिटा देते है,,, खुदकी की हुई गलतियों को बड़े अच्छे से छुपा देते है,,,,,दुर्गा अमलानी,,,,।।।।
कभी सीता तो कभी कुल्लछिनी बना देते है,,ऐसे लोगों का क्या भरोसा करे जो कभी फलक पर तो कभी जमीन पर गिरा देते है,,,खुद पे लगे दागों को आसानी से मिटा देते है,,, खुदकी की हुई गलतियों को बड़े अच्छे से छुपा देते है,,,,,दुर्गा अमलानी,,,,।।।।
कभी सीता तो कभी कुल्लछिनी बना देते है,,ऐसे लोगों का क्या भरोसा करे जो कभी फलक पर तो कभी जमीन पर गिरा देते है,,,खुद पे लगे दागों को आसानी से मिटा देते है,,, खुदकी की हुई गलतियों को बड़े अच्छे से छुपा देते है,,,,,दुर्गा अमलानी,,,,।।।।
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कभी सीता तो कभी कुल्लछिनी बना देते है,,ऐसे लोगों का क्या भरोसा करे जो कभी फलक पर तो कभी जमीन पर गिरा देते है,,,खुद पे लगे दागों को आसानी से मिटा देते है,,, खुदकी की हुई गलतियों को बड़े अच्छे से छुपा देते है,,,,,दुर्गा अमलानी,,,,।।।।
कभी सीता तो कभी कुल्लछिनी बना देते है,,ऐसे लोगों का क्या भरोसा करे जो कभी फलक पर तो कभी जमीन पर गिरा देते है,,,खुद पे लगे दागों को आसानी से मिटा देते है,,, खुदकी की हुई गलतियों को बड़े अच्छे से छुपा देते है,,,,,दुर्गा अमलानी,,,,।।।।
मैं एक आज़ाद पंछी हूं,मुझे आज़ाद ही रहने दो, बांधने की कोशिश की तो उड़ जाऊंगी,जकड़ने की कोशिश की तो मर जाऊंगी!!दुर्गा अमलानी