Dr. Hemlata
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छट जाएगी निशा की रात,सब्र रख, खुशियां कदम चूमेगी सब्र रख आह्टों के आते भी वक़्त लगता है, मुकम्मल होगा तेरा जहां,सब्र रख। डॉ हेमलता

मेरी रूह मे यादें तेरी है, और तू मेरी कमजोरी, आ मिल मुझसे और कर दे मुझे पूरी। डॉ हेमलता

आदत नहीं थी लिखने कि, तेरी यादों ने कलम थमा दिया, पलके बन्द कर तुझमें खोई थी तेरे इश्क़ ने शायर बना दिया। डॉ हेमलता

काश एक बार तुमसे मिलना होता, शायद मेरे जख्मों का सिलना होता, मुक्कमल जहां नहीं कुछ पल होता उस एक पल में उम्रों का खिलना होता। डॉ हेमलता

दरिया है, तो प्यासा क्यों है, दिल प्यार भरा समंदर ,हतासा क्यों है, ये माना की खुशियां सबको हासिल नहीं, रख हौसला बंदे , रुआसा क्यों है। डॉ हेमलता

लहलहाती निर्मल धरा, हिम चोटी तन कर खड़ा, मां प्रकृति तेरा आशीष नीर की बूंद बूंद अमृत भरा। डॉ हेमलता

इश्क का मजहब ही कुछ ऐसा होता है कि ताउम्र दिल मेहबूब भूलता नहीं ।

चाहत है कि तुम बिन जी जाऊ, पर सास तुम बिन आती नहीं। डॉ हेमलता

टूटे हुए दिल के जख्म हरे ना कर ए अजनबी, बड़ी सिद्दत से भरे है। डॉ हेमलता


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