Neeru Nigam
Literary Colonel
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दिलो के रिश्ते मे तो एक ही समीकरण समझ आया, जिसने खुद को हारा , प्यार उसी ने पाया ।

जो जिया जाये , वो ही रिश्ता होता है, जिसे ढोना पड़े, मजबूरी होता है ।

तड़पते तो तुमसे मिलने को हैं, दीदार तो आंख बंद कर, जब मन चाहा कर ही लेते हैं ।

वो मेरी कमी को सामान से पूरा कर रहे हैं, कोई बता दे उस नादान को ,मै जज़बात हूं सामान नहीं।

कुछ तो बेपरवाह रही होगी तेरी परवाह, वरना यूं ही कोई बेपरवाह नही होता, कुछ तो नासमझ रही होगी तेरी समझदारी, वरना यूं ही कोई पागल दिल इतना समझदार नहीं होता।


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