तुम ना समझोगे
मेरी हर मजबूरी
तुम न समझोगे
मेरी हर खूबी
तुम न समझोगे
मेरी हर अदा
तुम न समझोगे
मेरे हर ख्वाब
तुम न समझोगे
मेरी हर जरूरत
तुम न समझोगे
मेरा तुम्हारे लिए प्यार
तुम न समझोगे
बस तुम न समझोगे
अस्तित्व
होकर अस्तित्व विहीन तुममें ऐसे मिल जाऊँगी
चाहोगे तुम जितना मिटाना उतनी ही घुलती जाऊँगी
बदलने को अब मेरा इश्क भी बदलने लगा है
जुनून भी अब सिर पर चढ़़ने लगा है
पर एक बार बस तुम मुझे सोच के देखो
तुम्हारे आसपास भी अब सबकुछ बदलने लगा है।