Akshay kumar
Literary Colonel
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Medico by profession and a hindi poet and writer by passion.

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जब हम मिलेंगे, मेरी आँखें तुम्हारी आँखों के समंदर में समा कर तुमसे ये बतायेंगी, की मैंने लम्हा तुम्हे कितना याद किया है।

अच्छी बात है यदस्तों का कमज़ोर होना, बड़े बेचैन रहते हैं वो लोग, जिन्हें हर बात याद रहती है...

अक्सर खामोश चेहरे के पीछे बहुत शोर छिपा होता है.....जैसे इस रात को ही देख लो......इतना खामोश है.....पर दिन के सारे शोर को अपने अंदर दफन किये हुए।

अक्सर खामोश चेहरे के पीछे बहुत शोर छिपा होता है.....जैसे इस रात को ही देख लो......इतना खामोश है.....पर दिन के सारे शोर को अपने अंदर दफन किये हुए।

खामोश रात.....टिमटिमाते तारे.....सर्द हवाएँ..... और आगोश में तुम......कितना बेहतरीन संयोजन है।

यूँ तो सारे काम दिन के उजाले में ही होते हैं, पर रात की ख़ामोशी को महसूस करना भी एक बेहतरीन अनुभव देती है।

दिन के सारे शोर-शराबों को अस्ताचलगामी सूर्य के साथ विदा कर, कितना ख़ामोश बैठा है ये रात


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