Er. Pashupati Nath Prasad
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62 yrs , engineer , researcher , writer ( prose , poetry , lyric ) , ex central govt. Employee.

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पैसा बिना पैर निरंतर चलता रहता । एक बार जो नोट हाथ से निकल जाता वो जीवन में पुन: शायद ही आता ।

# पैसा पैसा हमारा नहीं पैसा तुम्हारा नहीं कर्ममठ जो जितना है पाया वह उतना है ।

गीत , नृत्य और साज बाज के मेल को संगीत कहते है

माता पिता भाई बंधु , बेटा बेटी का संसार । सुख दुख मिलकर के बाँटे , उसको कहते हैं परिवार ।

चिता जलाये जिंदा लाश , चिंता करता जीवन नाश , चिंता का कारण अनेक, पैसा इसमें सबमें एक ।

काम का आरंभ संघर्षमय होता है । समाप्ति हर्षमय होता है । तथा फल सुखमय होता है ।

* बैर * सुअर सफाई से बैर रखता तथा मूर्ख और दुष्ट व्यवस्था से ।

* भय * सबसे बड़ा भय मृत्यु है , यानी भय का अंतिम परिणाम मृत्यु है तथा आरंभ जन्म । भय किसी न किसी रूप में जन्म भर व्याप्त रहता है।

* सफल कुटनीतिज्ञ * जो देखकर भी नहीं देखे , न देखकर भी देखे । जो सुनकर भी नहीं सुने , न सुन कर भी सुने । जो सोचकर भी नहीं सोचे , न सोच कर सोचे । जो बोलकर भी नहीं बोले , न बोलकर बोले । जो किसी पर विश्वास न करे , सब पर विश्वास जताये ।


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