दे चाहें ठोकर लाख ज़माना,
पत्थरों को उनके नसीब का मिल ही जाता हैं,
कौन कहता है बोझ होता है कोई किसी पर,
मौसम बदलते ही शाखों में फूल खिल ही जाता है। ।
बिन मौसम तो बाग में गुल भी नहीं खिलते,
साफ साफ बताओ क्या मतलब है हमसे,
क्युकी बिन मतलब तो लोग खुदा से भी नहीं मिलते।