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मिटा दे अपनी हस्ती को गर कुछ मर्तबा चाहे , के दाना खाक मैं मिलकर गुल- ऐ -गुलज़ार होता है ।।।
माना समंदर बड़ा बहुत है पर गर तूने तैरना सीख लिया तो किनारा भी मिल जाएगा