मुझे जब वो ज़मीन से
उखाड़ कर फेंकना चाह रहे थे
तब मुझे अपनी जड़ो की
मजबूती और ताकत का अहसास हुआ
काटकर मेरी डालियों को
कागजी फूलों से सजाते हैं।
मकान के उस हिस्से में
रखते हैं वो पिंजरा मेरा,
जहाँ से खुला आसमान
साफ़ - साफ़ दिखता है।
अपने गुरुर के चट्टानों पर
कभी ना तुम चढ़ इतराना,
जज़्बातों की तेज़ लहरें
विशाल चट्टानों को भी
रेत बना देती हैं।
मेरी उम्मीदों को
बहुत उम्मीद है तुझसे
ए वक़्त,
करोगे ना कभी मुझे
नाउम्मीद तुम।
🇮🇳 अपने इतिहास को हम ना बिसारेंगे,
बलिदानों की इस माटी पर
कोटि - कोटि हम कुर्बान जायेंगे
अपनी मातृभूमि को तन - मन से हम सँवारेंगे। 🇮🇳
अक्सर नकारात्मता से
भरे हुए इंसान,
सकारात्मक माहौल में
असहज हो जाते हैं!
कभी - कभी जाहिर करना मुश्किल हो जाता है की,
रुलाने वालों के पास भी
दिल होता है!!
जितना जोर वो
आगे बढ़ने के लिए लगाता है,
उतनी ही ताकत लगा
उसे रोकने में जूटे है सभी यहाँ।