" ना तो मैं कवि हूँ और ना ही लेखक, मैं तो बस एक साधारण व्यक्ति हूँ जो अपने उदगारों को शब्दों के रूप में कागज पर व्यक्त करने का प्रयास करता हूँ "
सब तो अपने चाहने वालों में खो गए, मैं गज़ल सुनाकर यूँ ही तनहा खड़ा रहा ।। --- ✍ अमितोष उपाध्याय "अमित"