We have become so practical that
we forget to perform in theory,
which has weightage of 70 percent
to clear the exam (life) successfully
ज़िंदगी जीने के लिए बस ये तदबीर चाहिए
है हौंसला साथ गर तो क्यों तक़दीर चाहिए
जब नाराज़ नहीं! क्या मुआफ़ करूँ ?
हो कर मुजरिम क्या इंसाफ़ करूँ ?
- प्रतीक तिवारी (तलाश)
गुज़र गयी उम्र ये समझते हुए मेरी
कि कैसे गुज़ारें हम एक उम्र अपनी
- प्रतीक तिवारी (तलाश)
क़िस्से हज़ारों रोज़ लिखता हूँ यूँ तो
बस अंत सबका एक सा होता है अक्सर
- प्रतीक तिवारी (तलाश)
शख़्सियत एक नहीं, कई छुपी हैं मुझमें
बदल लेता हूँ हिसाब से हर मौक़े पर
- प्रतीक तिवारी (तलाश)