झरता-झरता पुष्प संसार को
सुरभित कर जाता है।
बुझता हुआ दीपक भी
अंंधेरे में प्रकाश भर देता है।
कर्मशील मनुष्य न केवल
अपने कार्यों में सफलता पाता है बल्कि संसार को भी सुशोभित करता है।
अगर जीवन में कुछ पाना है
तो धैर्य को अपना मित्र,
अनुभव को अपना परामर्श दाता और सावधानी को
बड़ा भाई बना लो।
हर तरफ ये शोर है,
जिन्दगी एक भोर है।
कहीं खुशियां,कहीं गमो का
जोर है।
जिस प्रकार मैले दर्पण में,
सूरज का प्रतिबिम्ब नहीं पड़ता
उसी प्रकार अनुशासन हीन हृदय में गुुरूजनों के ज्ञान का
प्रकाश नहीं पड़ता ।
दुखों का पयार्य है जीवन
इसमें सुख क्यों ढूढते हो
काँटों से भरा है जंगल
इसमें फूल क्यों ढूढ़ते हो।
कुछ इस तरह सहा हमनें
कि आँखें नम हो गई
बहते आँख से आँसू
कि आँखे जड़ हो गई।
अगर जलते हुए दीपकों ने,
अँधेरों से दोस्ती कर ली है।
तो आँखें बंद कर किसी भी,
परिणाम की प्रतिक्षा कीजिए।
नारी तू एक नहीं,
अनेक रूपों वाली है।
इसलिए तू जग में ,
दुर्गा विभा कल्याणी है।